यूटी चंडीगढ़ में बिजली वितरण का निजीकरण
चंडीगढ़, 07 दिसंबर, 2024: बिजली क्षेत्र में प्रमुख संरचनात्मक सुधारों के हिस्से के रूप में, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत बिजली वितरण उपयोगिताओं के निजीकरण की परिकल्पना की गई है। इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ता सेवाओं को बढ़ाना, परिचालन दक्षता में सुधार करना और वित्तीय रूप से कुशल वितरण मॉडल प्रदान करना है जिसका देश भर में अन्य उपयोगिताएँ अनुकरण कर सकें।
इसके अनुसरण में, चंडीगढ़ में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें मेसर्स एमिनेंट पावर कंपनी लिमिटेड सफल बोलीदाता के रूप में उभरी। केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद, ‘चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ (CPDL) का गठन किया गया है। निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा सबसे अधिक बोली लगाने वाले को आशय पत्र (LoI) भी जारी किया गया है।
इससे पहले, यूटी पावरमैन यूनियन और फेडरेशन ऑफ सेक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिकाओं का निपटारा करते हुए, उच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया था कि बिजली वितरण का निजीकरण करने की केंद्र शासित प्रदेश की नीति विद्युत अधिनियम, 2003 का उल्लंघन करती है।
अब, 02.12.2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ (रजिस्टर्ड) की विशेष अनुमति याचिका को खारिज करने के बाद, आज 05 दिसंबर 2024 को यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान, प्रशासक ने फिर से निर्देश दिए कि कर्मचारियों के सभी मौजूदा सेवा लाभों की रक्षा की जानी चाहिए और यूटी पावरमैन यूनियन की शिकायतों का व्यापक रूप से समाधान किया जाना चाहिए।
सीपीडीएल में स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत ‘चंडीगढ़ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज मास्टर ट्रस्ट’ बनाया गया है। ट्रस्ट का नेतृत्व सचिव इंजीनियरिंग करेंगे तथा इसका प्रबंधन ट्रस्टी बोर्ड द्वारा किया जाएगा, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे तथा अधीक्षण अभियंता विद्युत सर्किल इसके सदस्य सचिव होंगे। बोर्ड ट्रस्ट के दिन-प्रतिदिन के कामकाज का प्रबंधन करेगा।
‘चंडीगढ़ विद्युत सुधार हस्तांतरण योजना’ तैयार की गई है तथा चंडीगढ़ प्रशासन से ‘चंडीगढ़ विद्युत वितरण लिमिटेड’ (सीपीडीएल) को कार्यों का हस्तांतरण हस्तांतरण योजना की अधिसूचना के पश्चात किया जाएगा, जिसमें कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल किए गए हैं।
स्थानांतरित कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए मसौदा हस्तांतरण योजना में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं: स्थानांतरित कर्मियों पर लागू सेवाओं की शर्तें स्थानांतरण तिथि से पूर्व उन पर लागू सेवाओं से कम अनुकूल या निम्नतर नहीं होंगी। ऐसे सभी कर्मियों की सेवाओं की निरंतरता सभी मामलों में सुनिश्चित की जाएगी।
स्थानांतरण तिथि से ठीक पूर्व प्रशासन के अधीन उनकी सेवा के दौरान कंपनी को प्राप्त सभी सेवा लाभों सहित उनकी हकदार सरकारी सुविधाओं को पूर्ण रूप से मान्यता दी जाएगी तथा संरक्षित किया जाएगा तथा ऐसे कर्मियों के किसी या सभी टर्मिनल लाभों के भुगतान सहित सभी उद्देश्यों के लिए ध्यान में रखा जाएगा। नियोक्ताओं की टर्मिनल देनदारियों का आकलन करने के लिए हर साल प्रोद्भव अध्ययन किया जाएगा और कंपनी तदनुसार राशि ट्रस्ट में जमा करेगी।
कंपनी द्वारा स्थानांतरित कर्मचारियों को उनकी पूर्व सहमति के बिना चंडीगढ़ से बाहर तैनात नहीं किया जाएगा। ट्रस्ट से टर्मिनल लाभों को मंजूरी देने और वितरित करने की प्रक्रिया ट्रस्टी बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर प्रशासन द्वारा निर्धारित की जाएगी। ट्रस्ट तब तक प्रबंधन और कार्य करेगा जब तक कि स्थानांतरित कर्मचारियों की टर्मिनल देनदारियों का पूरा भुगतान नहीं हो जाता।
चंडीगढ़ प्रशासन कंपनी में कर्मियों के स्थानांतरण पर प्रतिनिधित्व/सुझाव प्राप्त करने और कंपनी में कर्मियों के स्थानांतरण के मामलों में उनकी शिकायतों के संबंध में प्रशासन को सिफारिश करने के लिए स्थानांतरण तिथि से एक समिति का गठन करेगा।