चंडीगढ़, 17 फरवरी, 2024: चंडीगढ़ नगर निगम के लिए 30 जनवरी को मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में लोकतंत्र की हत्या का मामला ठंडा होता नजर नहीं आ रहा है। पिछले कई दिनों से बीजेपी के मनोनीत पार्षद और पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के 8 वोटों को पेन से रद्द करने का वीडियो हर फोन और सोशल मीडिया पर घूम रहा है। इसके साथ ही आज एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें बीजेपी से मनोनीत पार्षद सतिंदर सिंह सिद्धू, डॉ. रमणीक सिंह बेदी, अमित जिंदल और डॉ. नरेश पांचाल भाजपा पार्षद कंवरजीत राणा के साथ मिल कर नगर निगम में अनिल मसीह के ऊपर लगे कैमरे हटवाते नजर आ रहे हैं।
पंजाब जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड के चेयरमैन एवं सह-प्रभारी आप चंडीगढ़ डॉ. एसएस इस वीडियो के बारे में बोलते हुए अहलूवालिया ने कहा कि इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि मेयर चुनाव के दिन लोकतंत्र की हत्या के दोषी अकेले अनिल मसीह नहीं हैं, उनके साथ बीजेपी के मनोनीत पार्षद सतिंदर सिंह सिद्धू, डॉ. रमणीक सिंह बेदी, अमित जिंदल और डॉ. नरेश पांचाल भी बराबर के दोषी हैं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह मनोनीत पार्षद कैमरे को अनिल मसीह से दूर कर रहे हैं ताकि अनिल मसीह गलत काम करते हुए कैमरे में कैद न हो जाएं।
उन्होंने आगे कहा कि मेयर चुनाव में बीजेपी द्वारा लोकतंत्र की हत्या की साजिश पहले रची गई थी। इसके लिए बीजेपी के हर पार्षद की अलग-अलग ड्यूटी लगाई गई कि कौन सा पार्षद बाकी पार्षदों को आगे जाने के लिए कहेगा और दोबारा सीट पर बैठने के लिए कहेगा। किन पार्षदों ने शोर मचाना हैं और किन पार्षदों ने माइक पर जोर-जोर से नारे लगाने हैं ताकि आप और कांग्रेस पार्षदों की आवाज को दबाया जा सके।
उन्होंने कहा कि वीडियो में दिख रहा है कि बीजेपी के पूर्व मेयर अनुप गुप्ता बाकी पार्षदों से कह रहे हैं कि आप सभी आगे बढ़ें और चिल्लाएं ताकि आप और कांग्रेस के पार्षदों का ध्यान अनिल मसीह से हट जाए। शोर मचाने के बाद अनुप गुप्ता सभी पार्षदों से कहते नजर आ रहे हैं कि अनिल मसीह ने 8 वोट रद्द कराकर अपना काम कर दिया है, इसलिए अब अपनी सीटों पर बैठ जाएं।
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी द्वारा पहले रची गई साजिश के तहत अपने मनोनीत पार्षदों को सदन के अंदर भेजा गया। क्योंकि भाजपा चाहती थी कि मनोनीत पार्षद सदन के अंदर जाएं और वोट रद्द कराने में अनिल मसीह की मदद करें, जबकि मनोनीत पार्षदों का अंदर कोई काम नहीं था। क्योंकि उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अनिल मसीह के साथ-साथ मनोनीत पार्षदों पर भी तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए ताकि कोई भी मनोनीत पार्षद इस तरह से लोकतंत्र की हत्या न कर सके।